झारखण्ड : नई नियोजन नीति 2023

 



क्या है मामला ?

इन दिनो झारखण्ड राज्य में नियोजन नीति को लेकर काफी गहमा गहमी देखी जा रही है. इस नीति को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां झारखण्ड राज्य की जनता को लुभाने का प्रयास कर रही हैं. BJP अपने द्वारा बनाई गई नियोजन नीति का समर्थन कर रही है और वहीं पर हेमंत सरकार अपने द्वारा नई नियोजननीति बनाने का विचार कर रही है. हेमंत सरकार और रघूवर सरकार दोनों पक्ष-विपक्ष अपने-अपने नियोजन नीति को बेहतर बताने में लगे हुए हैं . 3 फरवरी को हेमंत सरकार ने रघूवर सरकार के द्वारा बनाई गई नियोजन नीति को वापस लेने और उसे रद्द कर नई नियोजन नीति बनाने और लागू करने की घोषणा की है.


रघूवर सरकार की नियोजन नीति क्या थी इसमें क्या प्रावधान थे? 

राज्य सरकार (रघूवर सरकार) की ओर से 14 जुलाई 2016 को एक अधिसूचना जारी कर नियोजन नीति लागू की गई थी. उस नियोजन नीति के अंतर्गत 13 जिलों को अनुसूचित और 11 जिलों को गैर-अनुसूचित जिला घोषित कर दिया गया था. इस नियोजन नीति के अंतर्गत अनुसूचित जिलों की ग्रुप-सी और ग्रुप-डी की नौकरियों में वहीं के निवासियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था मतलब अनुसूचित जिलों की नौकरियों को यहीं के निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया गया था जबकि गैर-अनुसूचित जिलों के नौकरियों के लिए हर कोई अप्लाई कर सकता था. राज्य सरकार ने यह नियोजन नीति 10 सालों के लिए बनाई थी जिसके बाद 2016 में ही राज्य सरकार की ओर से शिक्षक भर्ती (17572 पदों) के लिए आवेदन मांगे गए थे. इस भर्ती के 8422 पद अनुसूचित जिलों को और 9150 पद गैर-अनुसूचित जिलों में थे.

  नियोजन नीति की वजह से गैर-अनुसूचित जिलों से आने वाले अभ्यर्थी अनुसूचित जिलों के लिए आवेदन नही कर पाए, इसी के चलते सोनी कुमारी ने इसे समानता के अधिकार के खिलाफ बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी. सोनी कुमारी ने कोर्ट में बताया वह गैर अनुसूचित जिले की निवासी है और उन्होंने अनुसूचित जिलों के लिए आवेदन किया था जिसे रद्द कर दिया गया. संविधान के अनुसार किसी भी पद को शत प्रतिशत आरक्षित नही किया जा सकता. इसके बाद कोर्ट ने नियुक्ति की प्रक्रिया पर रोक लगी दी. वहीं हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में कोई भी पद शत प्रतिशत आरकिषित नही किया जा सकता है आरक्षण की अधिनियम सीमा 50 प्रतिशत ही हो सकती है जबकि नियोजन नीति के चलते अनुसूचित जिलों में यह 100 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा था .


आखिर क्यों नई नियोजन नीति का विरोध कर रही बीजेपी ?

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने बीजेपी पर हवाला बोलते हुए कहा कि अब झारखण्ड को 11 और 13 जिलों में नही बांटा जाएगा और सभी जिलों के लिए एक ही नियोजन नीति होगी. उन्होंने कहा कि यूपी और बिहार के लोग आकर तृतीय और चतुर्थ वर्गों के पदों पर नौकरी नही पा सकते. रघूवर सरकार ने युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है, बताते चले कि हेमंत सरकार ने बीते 3 फरवरी को ही रघूवर सरकार द्वारा बनाई गई नियोजन नीति को रद्द कर नई नियोजन नीति बनाने और लागू करने की घोषणा कर डाली थी.

हेमंत सरकार की नई नियोजन नीति क्या होगी ?

इस बजट सत्र के दौरान लगातार नियोजन नीति को लेकर हंगामा देखा जा रहा है. हेमंत सोेरेन की सरकार 60-40 के फार्मूले पर नियोजन नीति लाने का प्रयास कर रही है जिसमें 60 प्रतिशत स्थानीय लोगों को और 40 प्रतिशत बाहरी लोगों को आरक्षण मिलेगा. बीजेपी द्वारा सदन के अंदर और बाहर हेमंत सरकार के द्वारा बनाई जा रही नियोजन नीति का बहिष्कार किया जा रहा है. बीजेपी इसका जमकर विरोध कर रही है.


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