Nagrikaran kya hai | नगरीकरण क्या है व्याख्या कीजिए

इस लेख में हम नगरीकरण क्या है Nagrikaran kya hai, नगरीकरण का अर्थ Nagrikaran ka arth, नगरीकरण की परिभाषा Nagarikaran ki paribhasha, नगरीकरण की विशेषताएं Nagrikaran ki visheshtayein, नगरीकरण के कारण nagrikaran ke karan और नगरीकरण के प्रभाव Nagrikaran ke prabhav के बारे में विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे. 

नगरीकरण क्या है Nagrikaran kya hai 


 गांव से नगर बनने की प्रक्रिया को नगरीकरण (Nagrikaran) कहा जाता है. जब गांव में जनसंख्या बढ़ती है और वह एक नगर बनने की प्रक्रिया में है तो उस प्रक्रिया को ही नगरीकरण कहा जाता है यानी नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गांव धीरे-धीरे नगर (शहर) के जैसा बनने लगता है .

Nagrikaran kya hai




नगरीकरण का अर्थ Nagrikaran ka arth 

नगरीकरण का अर्थ होता है गांव से नगर बनना | मतलब अगर गांव की जनसंख्या मे वृद्धि हुई और वहां पर सुविधाएं भी बढ़ने लगी जिसके कारण वह गांव नगर जैसा बनने लगा तो इस प्रक्रिया को ही नगरीकरण कहा जाता है | नगरीकरण दो तरह से होता है एक तो गांव की जनसंख्या में वृद्धि होती है तब और दूसरा नगरों की संख्या में वृद्धि होती है तब | यानी अगर नगरो की संख्या में वृद्धि हो रही है तब भी नगरीकरण ही कहा जाएगा | जो पहले से नगर है उसे नगरीकरण नही कहा जा सकता जिन स्थानों पर नगर बनने की प्रक्रियाएं चल रही है यानी जो पहले से नगर नही था केवल उसे ही नगरीकरण कहा जा सकता है |

नगरीकरण पर विभिन्न् विद्वानों ने अपने-अपने विचार प्रकट किए हैं और परिभाषाएं भी दिए हैं जो आगे पढ़ेंगे.

नगरीकरण की परिभाषा Nagrikaran ki paribhasha

नगरीकरण की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने अपने अनुसार दी है जो इस प्रकार है - 

वर्गेल -  "हम ग्रामीण क्षेत्रों को नगरीय क्षेत्रों में बदलने की प्रक्रिया को नगरीकरण कहते हैं."

श्रीनिवास - "नगरीकरण से आशय केवल संकुचित क्षेत्र में अधिक जनसंख्या से नही होता है बल्कि सामाजिक आर्थिक संबंधों में परिवर्तन होता है."

एण्डरजन तथा ईश्वरन - "साधारण रूप में  नगरीय विकास के सुन्दर रूप में ही नगरीकरण शब्द का उपयोग किया जाता है और इसका अर्थ होता है कि व्यक्तियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय आवास की ओर बढ़ना व्यक्तियों द्वारा कृषि के स्थान पर गैर-कृषि कार्यों को ग्रहण करना."

किंग्सले डेविस - "नगरीकरण एक निश्चित प्रक्रिया है परिवेश का वह चक्र है जिससे कोई समाज खेतिहर से औद्योगिक समाज में परिवर्तित हो जाता है."

मारविन ओलसन - "नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक समाज के समुदाय के आकार और शक्ति में वृद्धि होती है."



नगरीकरण की विशेषताएं Nagrikaran ki visheshta

नगरीकरण की विशेषताएं निम्न प्रकार हैं -

  1. नगरीकरण एक गांव से नगर बनने की प्रक्रिया है |
  2. नगरीकरण में लोग कृषि कार्य पर ज्यादा निर्भर नही रहतो हैं और धीरे-धीरे कृषि को छोड़कर गैर-कृषि कार्य करने लगते हैं |
  3. नगरीकरण की प्रक्रिया में लोग गांव को छोड़कर शहरों में निवास करने लगते हैं जिससे शहरों की जनसंख्या में वृद्धि होती है और नगरों के प्रसार एवं विकास में वृद्धि होती है |
  4. बड़े नगरों में उद्योगों में केन्द्रीकरण दृष्टिगोचर होता है |
  5. नगरीकरण की प्रक्रिया के दौरान नए नगरों का निर्माण होता है और बड़े -बड़े महानगर बनते हैं |
  6. नगरीकरण में कम स्थान में ज्यादा लोग निवास करते हैं |
  7. नगरीकरण के दौरान नगरों में निवास करने वाले व्यक्ति नगरीय जीवनशैली को आत्मसात कर लेते हैं |

उपरोक्त विशेषताओं से स्पष्ट होता है कि नगरीकरण का अर्थ केवल गांव की जनसंख्या का शहरों में आकर बसना या कृषि के स्थान पर अन्य कार्यों को अपनाना नही है | नगरीकरण लोगों का शहरों में आकर रहने लगना नही है | गांव के लोग भी जो कि कृषि कार्य त्यागते नही हैं, वह भी नगरीय हो सकते हैं यदि नगरीय जीवनशैली, व्यवहार एवं दृष्टिकोण, मनोवृत्ति, मूल्य को अपनाते हैं |

भारत में उद्योगों के स्थापना के साथ ही नगरीकरण की प्रक्रिया भी तेज़ हो गई है | वर्तमान समय में 5472 कस्बे और 36 महानगर हैं इनमे से सभी की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है | नगरीकरण की प्रक्रिया ने भारत में समाज एवं जनजीवन को बहुत ही प्रभावित किया है, इसके परिणामस्वरूप नगरों में एक तरफ बहुत सारी सुविधाओं का विकास हुआ है तो वही दूसरी ओर कई सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं | 

नगरीकरण के कारण/कारक Nagrikaran ke karan/karak

वर्तमान समय में नगरीकरण बढ़ने के बहुत सारे कारण हैं जो निम्न हैं - 

 1. आवागमन के साधनों का विकास - नगरीकरण को बढ़ाने में आवागमन के साधनों की बहुत बड़ी भूमिका है | दरअसल नगरों में आवागमन की सारी सुविधाएं उपलब्ध होती है जिसके कारण लोग शहरों की ओर आकर्षित होते हैं | बाज़ार, व्यापार और अन्य कार्यों के लिए भी लोग नगरों में जाते हैं |

2. नगरीय सुविधाओं का आकर्षण - नगर बहुत सारी सुविधाओं का केन्द्र है | देखा जाए तो गांवो में असुविधाएं होती हैं जिसके कारण लोग अपना कार्य अच्छे से नही कर पाते हैं और जीवनयापन भी अच्छे से नही हो पाता है जिसके कारण लोग शहरों की ओर आकर्षित होते हैं क्योंकि शहरों में गांवे की अपेक्षा अच्छी सुविधाएं होती हैं |

3. सफल और अमीर होने की भावना - लोगों को लगता है कि गांवों में रहकर अमीर नही बना जा सकता क्योंकि गांवो में वे सारी सुविधाएं नही होती हैं जो कि एक शहर में होता है और इसलिएलोगों का मानना है कि अगर हमें सफल और अमीर बनना है तो शहरों में जाना होगा हालांकि ये बातें सही भी हैं क्योंकि बिना शहर में गए कोई सफल हो ही नही सकता क्योंकि शहरों में आपको अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिलता है |

4. शहर में सपनो का संसार मिलना - लोग अपनी इच्छाएं और लालसा लिए शहरों से बहुत सारी आशाएं रखते हैं | गांव के लोगों को लगता है कि शहरों में जाकर अपनी इच्छाओं के अनुसार सारी सुख-सुविधाओं को प्राप्त किया जा सकता है, उन्हे शहर एक सपने का संसार जैसा लगता है | मुंबई, दिल्ली, जयपुर, आदि बड़े-बड़े महानगरों में प्रतिदिन 5 से 7 लाख लोग गांव से आते हैं जिसके कारण इन महानगरों में जनसंख्या काफी तेज़ी से बढ़ती है |

5. शिक्षा का केन्द्र - बहुत सारे शहर शिक्षा के केन्द्र के रूप में जाने जाते हैं जिसकी वजह से इन शहरों में जनसंख्या लगातार बढ़ती रहती है | जैसे - इलाहाबाद,पटना, आदि शहर शिक्षा के केन्द्र के रूप में मशहूर हैं |

6. राजनीति का केन्द्र - दिल्ली, लखनऊ जैसे शहर प्रशासनिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक फेमस हैं, राजनीति से जुड़े लोग या प्रशासनिक लोग यहां पर अधिक जनसंख्या में निवास करते हैं जिसके कारण यहां पर जनसंख्या वृद्धि होते रहता है |

7. जनसंख्या का तीव्र गति से वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों के जीवनयापन के लिए वस्तुओं की मांग बढ़ती जाती है और गांव में ज्यादातर वस्तुएं उपलब्ध नही हो पाती हैं जिसके कारण लोग शहरों की ओर गमन करने लगते हैं |

नगरीकरण के प्रभाव Nagrikaran ke prabhav

नगरीकरण के बहुत सारे प्रभाव पड़ते हैं जिसमें कुछ सकारात्मक हैं और कुछ नकारात्मक हैं जो निम्नलिखित है - 

1. एकल परिवार में वृद्धि - जैसे-जैसे नगरों का विकास हो रहा है वैसे-वैसे संयुक्त परिवारों का विघटन हेता जा रहा है और शहरों मे भी जब लोग जाते हैं तो एकल परिवार के रूप मे ही रहना पसंद करते हैं |

2. सामाजिक विजातीयता - बढ़ते नगरीकरण के साथ सामाजिक विजातीयता ज्यादातर देखने को मिलती है | अब लोग नगरों में अपने-अपने धार्मिक समूहों या जातीय समूहों में नही रह पाते हैं | सोसाइटी में अब अलग-अलग धर्मों और जाति के लोग एक साथ रहते हैं |

3. औद्योगिकरण में वृद्धि - बढ़ते नगरीकरण के कारण औद्योगिकरण में भी काफी वृद्धि हो रही है क्योंकि लोगों को रोज़गार की आवश्यकता है जिसके कारण उद्योगों में वृद्धि हो रही है |

4. अन्धविश्वासो की समाप्ति - नगरीकरण से एक बदलाव यह आया है कि लोग अंधविश्वासों को अब नही मानते हैं | पहले लोग अंधविश्वास,ढोंगीबाबा, आदि पर बहुत विश्वास करते थे लेकिन अब लोग जागरूक हो गए हैं और इस पर भरोसा नही करते हैं जिसके कारण अंधविश्वास धीरे-धीरे कम हो रहा है |

इसके अलावा नगरीकरण के और भी बहुत सारे प्रभाव पड़े हैं |

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