इस पोस्ट में पढ़ेंगे कि साइमन कमीशन क्या था,साइमन कमीशन में कितने सदस्य थे,साइमन कमीशन कब आया था,साइमन कमीशन भारत में कब आया, भारतीय लोग साइमन कमीशन का विद्रोह क्यो कर रहे थे, साइमन कमीशन वापस क्यो गया . तो चलिए एक-एक करके साइमन कमीशन के बारे में सभी बातें बताता हूं.
साइमन कमीशन क्या था ?
साइमन कमीशन या साइमन आयोग एक समूह था जिसमें 7 सदस्य शामिल थे | 1919 के भारत शासन अधिनियम की समीक्षा के लिए इस आयोग का गठन 8 नवम्बर 1927 को किया गया था और इसका मुख्य कार्य था मानटेन्ग्यु चेम्सफोर्ड सुधार की जांच करना | साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत आया | इस आयोग के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे |
साइमन कमीशन भारत कब आया था?
साइमन आयोग भारत में 3 फरवरी 1928 को आया था, यह भारत में सबसे पहले बम्बई शहर में आया था और इसका स्वागत भारतीय लोगों ने विरोध के साथ "साइमन कमीशन वापस जाओ" के नारे से किया |
साइमन कमीशन के विरोध का कारण
इस आयोग के विरोध करने का सबसे बड़ा कारण यह था कि इस आयोग में सातों सदस्य अंग्रेज़ थे इसमे एक भी सदस्य भारतीय नही था इसलिए भारतीयों को लगता था कि इसकी रिपोर्ट में पक्षपात होगा और अंग्रेजों के हितों का ध्यान रखा जाएगा | इसलिए भारतीयों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और साइमन कमीशन का स्वागत उन्होंने "साइमन कमीशन वापस जाओ" के नारे से किया |
साइमन कमीशन के बहिष्कार का निर्णय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन (1927) में एम. ए. अंसारी की अध्यक्षता में किया गया था |
साइमन कमीशन से जुड़े कुछ तथ्य
- जब लाहौर लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय घायल हुए तो उन्होंने कहा - "मेरे ऊपर लाठियों से किया एक-एक वार अंग्रेज शासन के ताबूत की आखरी कील होगी |
- 1928 से 1929 के बीच साइमन कमीशन दो बार भारत आया और मई 1930 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की | इस रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए लंदन में गोलमेज़ सम्मेलन का आयोजन किया गया |
साइमन कमीशन की प्रमुख सिफारिशें
- प्रांतो में द्वैध शासन समाप्त हो
- अखिल भारतीय संघ के विचारों को न माना जाए
- बर्मा (वर्तमान में म्यांमार) को ब्रिटिश शासन से अलग किया जाए
- उसका अलग संविधान हो


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